एक ⚡ संकल्प

वंचित था जिस अवसर से मैं,
उसे ज्वाला से भी खींच लाऊंगा ,,
मेरा आह्वान है उस कल को आज ...
नया इतिहास एक रच जाऊंगा |

कांपते हुए स्वर थे जो,
हर कानों तक उन्हें पहुंचाऊंगा ,,,,
संकल्प है मेरा अपने अल्फाजों को मैं ...
आज आसमान में रच जाऊंगा !

मरते हुए उन आशाओं को ,
अपने रक्तों से  भिगाऊँगा,,
है जो सीने में बारूद मेरे ...
उन्हें अंगारे बना जाऊंगा |

हूँ जिस गर्त में फंसा हुआ मैं आज ,,
एक महल वहाँ गढ़ जाऊंगा ..
घृणा करते हैं जहां जाने से लोग ,,,
वहां स्वर्ग एक बसा जाऊंगा |

बेगुनाह गिरते आंसुओं से
चमकते मोती मैं बनाऊंगा ,,,
ऋणी हूं जिस जग का आज ,,
कल सम्राट उसका कहलाऊंगा...

दर दर की ठोकरों से मैं ..
अपनी अभिलाषाएँ पुष्ट बनाऊंगा ,,
प्रण है उन  काले हवाओं से अाज;
नया एक इतिहास रच जाऊंगा !

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